Friday, January 27, 2012

एक नयी सुबह को करें सलाम

उन बातों को हम भूल गए 
जिन बातों से तकरार बढ़ी 
उन दीवारों को तोड़ गए 
जो सबके थी बीच खड़ी
कब तक रखें उन बातों को 
छुपा के अपने दिल में हम 
जिनसे हम कोसों दूर रहे 
जिसने की सबकी आँखें नम

क्या खोया सब भूल के हम 
लें एक दूजे की बाहें थाम 
भुला के सारी नफरत को 
एक नयी सुबह को करें सलाम 

जो लड़े कभी हम मजहब पे 
एक दूजे का खून बहा 
धरती रोई फिर सदियों तक 
कल जो ये लहू लुहान रहा 
जो पास थी अपने वो दौलत 
उसकी न हमको कदर रही 
उनसे हम दिलों को जीत सकें 
ऐसी न हमको खबर रही 

ढूढ़ के लायें वो दौलत  
चाहो हो जो भी अंजाम  
भुला के सारी नफरत को 
एक नयी सुबह को करें सलाम 

way to NALSAR


way to NALSAR


Monday, January 02, 2012

जंग न उनपे लग जाए

जिस धड़कन में बहती थी कभी
एक सोच वो क्रांति को लाने की
उसको है अब जंग लगी
उसकी है घड़ी थम जाने की 
हम कोसते हैं उस गद्दी को
जिसपे बैठे हैं भ्रष्ट सभी
जिनके वादे भी अधूरे हैं
पूरे न होंगे वो भी कभी
हैं उम्मीदें उनसे ही जुड़ी
जो बदलें नीव जमाने की
हैं उनकी ही कोशिश पे टिकी
एक सोच सुबह को लाने की
बारूद हैं जिन बंदूकों में
जंग न उनपे लग जाए
जंग न उनपे लग जाए

कुछ सोचते हैं धन दौलत की
कुछ भागते हैं कल के पीछे
कर्म की सीढ़ी छोड़ के सब
क्यों भागते हैं फल के पीछे
न फ़ुरसत है उनको भी अभी
कि याद करें कुर्बानी वो
जिसने सींचा इस धरती को
जिनकी है एक निशानी वो
कुर्बानियों को भूल गए
एक होड़ में आगे जाने की
अब उन्ही से होगा रौशन कल
जो सोचें क्रांति को लाने की
बारूद हैं जिन बंदूकों में
जंग न उनपे लग जाए
जंग न उनपे लग जाए